कुछ कहता है मुझसे ये अंतर मन मेरा , कुछ कहता है तुझसे ये अंतर मन तेरा , इन तनहइयो में ये क्या खोजते हो , इन अंधियारी गलियों में क्यों घूमते हो , कुछ मुझको बतादो कुछ खुद को सुनादो ........ जरा रौशनी में आके कभी खुद को दिखादो , मंजिल ना सही अपने इरादे से ही कभी गुफ्तगू करदो...........................
-------रितेश रस्तोगी Thursday, February 24, 2011
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सबका मन कुछ न कुछ कहता है....आपके मन ने भी कहा...
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