Tuesday, March 15, 2011

tu bata......

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जब दिल करे तो तू बता
किस बात से सजदा करू
इज़हार तो अब कर दिया
ये तू बता अब क्या करू

पर्दा नहीं अब तुझसे कोई 
मालूम है सब कुछ तुझे 
बंदिश है क्या अब बोल दे
गर प्यार है मुझसे तुझे

तो तू बता , हाँ तू बता

किस रहपे अब मैं चालू
किस मोड़पे  सजदा करू
तदबीर दे इस दर्द का
जिहत दिखा के अपनी तू 

ये आखिरी सवाल है
गर मैं तेरी मंजिल नहीं
तो ये बात किस राह पे  
मिल जाएगी, तू मुझे

हाँ
तू मुझे, हाँ तू मुझे....

Sunday, March 6, 2011

hayaal ban baithi hai..........

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हयाल बन बैठी है वो हमारी रहो की गर जिहत बनती तो बात कुछ और होती हम तो बस राहगीर थे उनकी रहो के......... न जाने फिर किस बात का रस्क था उनको......... गर यूंही खुद_आरा होता ये अकेलापन हमको तो यूं साथ न मंगाते इन रहो पे उनका......... खैर मलाल नहीं की वो साथ न चल सके बस मलाल है उनके हयाल होने का...... 

Saturday, March 5, 2011

ajnabee....

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फिर कुछ कह गया वो अजनबी सा चेहरा...... 
फिर गुम हो गया वो अजनबी सा चेहरा......... 
न जाने क्यों इन आँखों मे अपना अक्स दे गया वो 
मैं तनहाइयों में खोजता रहा वो भीड़ में गुम गया...... 
अब क्या तलाशु उसे जो इस कदर खो गया..... 
क्या वो सच में अजनबी था या कोई अपना मेरा... 
हैराँ क्यों हूँ आज मै और जज़्बाती हो रहा......... 
क्यों वो अजनबी सा चेहरा मुझे याद आ रहा.....
 

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