कतरा-ए-इश्क यूं जाया न कर तू ,
इन्तजार कर तू तो बस फिजाओं का.….
ये तो रूह कि इबादत का फलसफा है ,
इसे फिज़ूल समझ यूं बरबाद न कर.…
मालुम है दिल तेरा बहुत ही आशिकाना है ,
पर इस कमजर्क को बस इतना समझाना है.….
कि हर चेहरा नही होता यहाँ यूं बस डूब जाने को
सो कतरा-ए-इश्क यूं जाया न कर इंतजार कर
हाँ बस इंतजार कर.….
हाँ बस इंतजार कर.….