फिर कुछ कह गया वो अजनबी सा चेहरा......
फिर गुम हो गया वो अजनबी सा चेहरा.........
न जाने क्यों इन आँखों मे अपना अक्स दे गया वो
मैं तनहाइयों में खोजता रहा वो भीड़ में गुम गया......
अब क्या तलाशु उसे जो इस कदर खो गया.....
क्या वो सच में अजनबी था या कोई अपना मेरा...
हैराँ क्यों हूँ आज मै और जज़्बाती हो रहा.........
क्यों वो अजनबी सा चेहरा मुझे याद आ रहा.....
-----रितेश रस्तोगी
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