Monday, September 12, 2011

kuch fazil....( कुछ फाजिल )

,
 कुछ  फाजिल  तब्दीरों  से  उनकी  क्या  वो  कामिल  हो  गए ,
या  फिर 
कुछ  अल्फाजों  के गुफ्तार  से  उनकी  हम  गुमराह  हो गए...

Tuesday, September 6, 2011

sawalo ki........ ( सवालों की )

,
सवालों की कड़ी हम बिछाते गए यूँ
की  वजूद हम खुद का मिटाते गए यूँ
 
न उनपे यकीं था न खुद पे यकीं था
बस  सवालों के तरकश चलते गए यूँ
 
ये समय का पलट था या जेहनी खलल 
या उन तारों का लिखा निभाते गए  यूँ
 
पर करें तो करें क्या ,ये अब सोचते हैं 
ले सवालों को इन, खुद ही खोजते हैं
 
सबक पाने को उन गलतियों से हम अपनी 
 बस सवालो के तरकश खुद पे छोड़ते हैं ...

 हाँ छोड़ते हैं....................... खुद पे छोड़ते हैं

Saturday, September 3, 2011

anjan......

,

 अनजान थी वो
 अनजान सी वो
नाम होते हुए भी 
गुमनाम थी वो.....

ज़ेहन में है उतरी 
अक्स बन के वो मेरे
पहले लगता था सपना,
पर, क्या हकीकत में है वो ?


पर न जाने क्यों अब भी
ये खलल सा है रहता
किसी अनजानी सी राह का 

 वो अनजान सा सपना......
 

जो मिले वो मुझे फिर
तो छू के मैं देखूँ

हकीकत है वो
या फिर कोई सपना......


Friday, September 2, 2011

tum the to.....

,
तुम थे तो हाँ कुछ बात थी 
तुम नहीं तो शायद फिर नहीं
ये साथ वक़्त के साथ था 
शायद अब वो वक़्त ही नहीं

पर रहता नहीं वक़्त हर का हमेशा 
कभी न कभी तो  पलटता है ये भी 
जो पलटे ये मेरा तो साथ हो तेरा 
दुआ हैं खुदा से बस अब तो यही 

तुम्हारी कमी यु तो पल-पल खलेगी 
और हर महफ़िल तुम बिन सूनी लगेगी 
क्योकि तुम थे तो हैं कुछ बात थी
पर तुम नहीं तो हाँ यक़ीनन नहीं...

हाँ नहीं................हाँ नहीं..............
 

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