Thursday, February 6, 2014

Katra-e-ishq.......(कतरा-ए-इश्क)

,

कतरा-ए-इश्क यूं  जाया न कर तू ,
इन्तजार कर तू तो बस फिजाओं का.….
ये तो रूह कि इबादत का फलसफा है ,
इसे फिज़ूल समझ यूं बरबाद न कर.… 

 मालुम है दिल तेरा बहुत ही आशिकाना है ,
 पर इस कमजर्क को बस इतना समझाना है.…. 
 कि हर चेहरा नही होता यहाँ यूं बस डूब जाने को  
 सो कतरा-ए-इश्क यूं जाया न कर इंतजार कर
हाँ बस इंतजार कर.….
 

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