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Wednesday, February 15, 2012
Tuesday, February 7, 2012
siyasi pech....... (सियासी पेच)
Posted by
ankahe alfaz
,
at
2:56 PM
हुकूमत चाहिए इनको ,
यहाँ नोटेय कमाने को....
कभी ठाकुर बने है ये,
कभी पंडित बनेगे ये....
लिए मुद्दा विभाजन का,
तुम्हे बांटा करे है ये....
तुम्हारा वोट पाने को,
ये दरवाजा हैं खटकाये.....
बड़े वादे लिए मुहं में,
तुम्हारा वोट ठग जाये......
कोई गाँधी बना फिरता ,
लगा बस नाम ही उनका....
कोई ले संग की लाठी ,
तुम्हारे भावों को छगता है....
छगन विद्या में माहिर हैं,
सियासत के सभी प्यादे.....
न कोई ईमान है इनका,
न कोई भगवान् है इनका....
तरक्की ग़ुम कर जातें हैं......
कभी ले मंदिर का मुद्दा,
ये कुर्सी जीत जाते हैं.....
तो कभी ले आरक्षण की गर्मी,
ये पिछड़ों को रिझातें हैं.....
तुम्हारा उदधार करने को,
ये बीड़ा तो उठातें हैं....
पर किताबों और पन्नो में,
तरक्की ग़ुम कर जातें हैं......
तरक्की ग़ुम कर जातें हैं......
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