हुकूमत चाहिए इनको ,
यहाँ नोटेय कमाने को....
कभी ठाकुर बने है ये,
कभी पंडित बनेगे ये....
लिए मुद्दा विभाजन का,
तुम्हे बांटा करे है ये....
तुम्हारा वोट पाने को,
ये दरवाजा हैं खटकाये.....
बड़े वादे लिए मुहं में,
तुम्हारा वोट ठग जाये......
कोई गाँधी बना फिरता ,
लगा बस नाम ही उनका....
कोई ले संग की लाठी ,
तुम्हारे भावों को छगता है....
छगन विद्या में माहिर हैं,
सियासत के सभी प्यादे.....
न कोई ईमान है इनका,