गणतंत्र की हत्या करके ,
ये गणतंत्र दिवस मनाते हैं ।
बांध के पट्टी आँखों पे,
पूरे देश को यूं झूठलाते हैं ।।
उन जनप्रतिनिधियों से,
मैं तो बस ये पूछ रहा ।
कि क्या तुम लोगों को भैया,
इस शब्द का मतलब मालूम है ।।
या
फिर सत्ता के इन गलियारों में,
तुम इसको भी भूल चुके ।
खैर
राष्ट्र गन गाने से नहीं,
न ही तिरंगा लहराने से।
संबिधान की इज्जत होती है,
जनता का मान बढ़ाने से ।।
जिसने मत से अपने ,
तुमको है गौरवान्वित किया।
उनपे ही देखो तुमने,
भाँजी लाठी और गोले यहाँ ।।
क्या यही राष्ट्र का मान है ,
और उसकी आवाज का ।
या फिर ये है, इस गणतंत्र की
यूं गला घोट कर हत्या ।।