Tuesday, February 22, 2011

kuch lagta hain yun.........

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तू आज मेरे साथ है तो शायद ये तेरे जस्बाद है मै आज तेरे साथ हु तो शायद ये मेरे हलाद है पर कल ये जरुरी नहीं की यु हम-तुम साथ हो क्योकि न जज्बाद रहते है न हलाद .....ये सब रेत है जो पानी संग बह्जाते है और फिर किसी लहर के आने पर एक नयी सतह बनाते है मुमकिन हो शायद कुछ रिश्ते थम जाये इस रेत पर , पर न होने की गुंजाईश भी कुछ कम नहीं.....पर ये मालूम नहीं की इस दमन में रेत है या लहरों का पानी ये जिंदगी है या किसी पुस्तक की कहानी..........................................

                                       ------रितेश रस्तोगी

1 comments:

  • February 24, 2011 at 9:54 AM
    ankahe alfaz says:

    धन्यवाद् सुशिल जी......

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