Tuesday, February 22, 2011

bemani........

,
क्यों जिंदगी मेरी बेमानी सी , कुछ आज लग रही है क्यों खुशिया मेरी बेमानी सी , मुझे आज लग रही है क्योकि जोआज चुप-चाप है यहाँ पर , कल ये शायद चुप न रहेगी ये बेमानी जिंदगी है मेरी , कल शायद न रहेगी..... कुछ पन्ने समाते लू जो बिखरे है इसके , उन अनजानी सी गलियों की मोड़ो पे कहीं जो , मै शायद यहाँ था , मै शायद वहाँ था , न जाने किस पल किस मोड़ पे खड़ा था......वो कहती थी मुझसे यकीन मुझ पे न करना जो खाओ गर धोका तो मुझे बेमान न कहना ये फितरत है मेरी हर मोड़ पे बदलना फिर कहे का धोका कहे की बेमानी.... हर जीव में मै कुछ पल हूँ ठहरती फिर दमन झटक के आगे हूँ बढती मै आज हूँ तेरी कल हु किसी और की ये फितरत है मेरी नहीं कोई बेमानी मै ....
                                                                 -----रितेश रस्तोगी 

3 comments to “bemani........”

  • February 23, 2011 at 8:24 PM
    Anonymous says:

    "ये फितरत है मेरी नहीं कोई बेमानी मै ...."
    बहुत खूब - भावों की प्रशंसनीय प्रस्तुति
    ब्लॉग भी मनमोहक लगा

  • February 24, 2011 at 9:35 AM
    ankahe alfaz says:

    शुक्रिया राकेश जी

  • March 9, 2011 at 6:42 AM

    इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

Post a Comment

 

ankahe alfaz.......... Copyright © 2011 -- Template created by Ritesh Rastogi -- Powered by Ritesh Rastogi